सभी बेटियों को समर्पित है ये कविता सभी बेटियों को समर्पित है ये कविता
वर्षों का इंतज़ार हुआ ख़त्म उस पल, उनपे नज़रें आकर ठहरी जिस पल। मानो सब रुक सा गया उस वर्षों का इंतज़ार हुआ ख़त्म उस पल, उनपे नज़रें आकर ठहरी जिस पल। मानो सब रु...
यूं बातो से मुझे लूटकर करता रहा वो बातो के वादे! यूं बातो से मुझे लूटकर करता रहा वो बातो के वादे!
कभी नजरों से पिलाती हैं कभी होंठों से जिलाती हैं कभी नजरों से पिलाती हैं कभी होंठों से जिलाती हैं
न देखे कोई तुझे मेरे सिवा इस जहां में, न देखे कोई तुझे मेरे सिवा इस जहां में,
कहने को बहुत कुछ है, लिखने को कहा कुछ है.... कहने को बहुत कुछ है, लिखने को कहा कुछ है....